Issue 01, January 2017

Foundation Publication

आश्चर्य से भर जाता था मैं, जब बचपन में, अपने गाँव में रात के समय आसमान में सैकड़ों टिमटिमाते तारों के विस्मित कर देने वाले नजारे को देखता था। मुझे तब भी विस्मय होता था जब रसायनविज्ञान के शिक्षक तत्वों के वर्गीकरण को आवर्त सारणी में दिखाते थे। और आज भी मैं विस्मित रह जाता हूँ जब भी मानव शरीर के प्रत्येक अंग, ऊतक और कोशिका के काम करने की जटिलताओं और बारीकियों के बारे में कुछ और नया जानने को मिलता है। प्राकृतिक संसार को देखकर होने वाले विस्मय ने ऐसी कई वैज्ञानिक खोजों का रास्ता निर्मित किया है जिन्होंने दुनिया को बदलकर रख दिया। विस्मय, वैज्ञानिक मिजाज का एक अत्यावश्यक अंश है। जो शिक्षक अपनी कक्षा में विस्मय का भाव पैदा कर सकता है, वह अपने विद्यार्थियों की कल्पना शक्ति
को आकर्षित करने में सफल रहता है। इसी वजह से हमने इस विज्ञान पत्रिका का नाम ‘आई वंडर...’ रखा है।

April, 2017
रामगोपाल (राम जी) वल्लत
एन.एस.सुन्दरेसन
अरविन्द कुमार
विग्नेश नारायणन एच.
सुशील जोशी एवं उमा सुधीर